Hindu Dharm : सप्ताह के इस दिन ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा, हर समस्या का होगा निवारण


सनातन धर्म में श्रीगणेश को प्रथम पूज्य देव का दर्जा प्राप्त है। वहीं ज्योतिष में इन्हें बुध का कारक ग्रह माना जाता है। साथ ही बुध को श्री गणेश के कारण ही बुद्धि का कारक ग्रह माना जाता है।

ऐसे में बुधवार (Wednesday) को भगवान गणेश (Lord Ganesha) की पूजा की जाती है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार भगवान गणेश की पूजा (Worship) करने से विघ्नहर्ता लोगों के दुख हरते हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाएं (Wishes) पूरी करते हैं।

कोई भी शुभ काम करने से पहले श्रीगणेश की पूजा की जाती है। पंडित शर्मा के अनुसार कहते हैं कि भगवान गणेश की अराधना करने से सारी परेशानियां दूर होती हैं और धन (Money) की प्राप्ति होती है। वहीं कुछ उपाय हैं जिन्हें बुधवार के दिन करने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है, भगवान श्री गणेश को सुख करता व दुख हरता के अलावा विघ्नहर्ता भी माना जाता है।

भगवान गणेश स्‍वयं रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं। वह भक्‍तों की बाधा, सकंट, रोग-दोष और दरिद्रता को दूर करते हैं। शास्‍त्रों के अनुसार माना जाता है कि श्री गणेश जी की विशेष पूजा का दिन बुधवार है।

कहा जाता है कि बुधवार को गणेश जी की पूजा और उपाय करने से हर समस्‍या का निवारण हो जाता है। वहीं हनुमान जी की तरह ही गणेश जी का श्रृंगार भी सिंदूर से ही किया जाता है, इससे भक्तों की समस्त परेशानियां दूर होती हैं।

बुधवार को करें ये उपाय
भगवान गणेश को घी और गुड़ का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद घी-गुड़ गाय को खिला दें। (इसके अलावा यदि नौकरी से जुड़ी समस्या हो तो गाय को हरी घास या हरा चारा इस दिन अवश्य खिलाएं।) ऐसा करने से घर में धन व खुशहाली आती है।

अगर घर में नकारात्मक शक्तियों का वास है, तो घर के मंदिर में सफेद रंग के गणपति की स्थापना जरूर करनी चाहिए इससे सभी प्रकार की बुरी शक्तियों का नाश होता है।

अगर किसी का बुध ग्रह खराब चल रहा है, तो हरे मूंग को दान करें। इससे बुध ग्रह का दोष शांत होता है। बुधवार के दिन सुबह स्नान कर गणेश जी को दूर्वा की 11 या 21 गांठ अर्पित करें। माना जाता है ऐसा करने से काम के जल्द ही शुभ फल मिलने लगते हैं। गणेश जी की पूजा के बाद ये आरती जरूर पढ़ें-

गणेश जी की आरती...
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ...

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।